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प्रेमचंद जयंती : गुमनामी में निकली अंतिम यात्रा, लोग बोले- कोई मास्टर था, मर गया

प्रेमचंद की आर्थिक स्थिति का जिक्र होते ही हरिशंकर परसाई का लेख 'प्रेमचंद के फटे जूते' याद आता है. ये लेख प्रेमचंद के एक चित्र पर आधारित है, जिसमें उनके जूते फटे हुए हैं.

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