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ओबीसी को संवैधानिक दर्जा देने का विधेयक लाना बीजेपी का चुनावी स्वार्थ: मायावती

<p style="text-align: justify;"><strong>लखनऊ</strong>: बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आज भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया कि वह देश के करोड़ों दलितों और आदिवासियों की तरह अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को भी चुनाव के समय छलना चाहती है. मायावती ने कहा, 'देश के करोड़ों दलितों और आदिवासियों की तरह अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को भी राजनीति, शिक्षा, रोजगार, न्यायपालिका के क्षेत्र में हर स्तर पर उनके हकों से वंचित रखने का प्रयास करने वाली बीजेपी अब चुनाव के समय में ओबीसी वर्गों को भी छलना चाहती है.'</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, 'इसी कारण उनको लुभाने के लिए संसद में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विधेयक लाया गया है, जो उनकी चुनावी स्वार्थ की राजनीति के सिवाय कुछ भी नहीं है क्योंकि बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा हमेशा से ही पिछड़ा वर्ग और इनके आरक्षण आदि का घोर विरोधी रहा है और इसी कारण इन्होंने मण्डल आयोग की रिपोर्ट को देश में लागू करने का भी काफी तीव्र विरोध देश भर में किया था.'</p> <p style="text-align: justify;">मायावती ने हालांकि विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि दलितों-आदिवासियों के संवैधानिक और कानूनी हक, हकूक को लगातार नकारने के साथ-साथ इनके ऊपर अनेकों प्रकार की जुल्म-ज्यादती करते रहने की नीयत-नीति को त्याग करके, पिछड़े वर्ग के लोगों के हित और कल्याण के मामले में भी बीजेपी सरकारों को थोड़ी गंभीरता और ईमानदारी अवश्य दिखानी चाहिए. राजनीति के साथ-साथ शिक्षा और सरकारी नौकरियों में इनके आरक्षण के कोटा को खाली रखकर इनका हक नहीं छीनना चाहिए और इसके बजाय सभी स्तर पर इनको आरक्षण का लाभ सुनिश्चित करना चाहिए.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, 'परन्तु बड़़े दुःख की बात है कि पिछले लगभग सवा चार वर्षों के केन्द्र में इनके शासनकाल में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है लेकिन अब जबकि लोकसभा और मध्यप्रदेश, राजस्थान,छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के चुनाव नजदीक आ गए हैं, तो पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने सम्बन्धी विधेयक संसद में लाकर उन्हें लुभाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि चुनाव में इनका कुछ वोट हासिल कर लिया जाए.'</p> <p style="text-align: justify;">बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि इस प्रकार ओबीसी वर्गों को छलने का बीजेपी सरकार का यह प्रयास है, जिससे इन वर्गों को सावधान रहने की जरूरत है. वैसे भी अगर बीजेपी सरकार की इस सम्बंध में नीयत थोड़ी भी साफ और सकारात्मक होती तो यह काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सरकार बनने के पहले वर्ष में ही आसानी से कर सकते थे.</p>

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