-->

गोरखपुर दंगा: CM योगी के खिलाफ मुकदमे से इनकार पर यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

<p style="text-align: justify;"><strong>लखनऊ</strong>: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुकदमे की इजाज़त न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. राज्य सरकार ने इस आधार पर अनुमति से मना कर दिया था कि मुकदमे में सबूत नाकाफी हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से मना कर दिया था. हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है.</p> <p style="text-align: justify;">बता दें कि साल 2007 की 27 जनवरी को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था. आरोप है कि दंगे में अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे. आरोप है कि दंगा तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ, विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और उस वक्त की मेयर अंजू चौधरी द्वारा रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण देने के बाद भड़का था.</p> <p style="text-align: justify;"><code></code></p> <blockquote class="twitter-tweet" data-lang="en"> <p dir="ltr" lang="en">Supreme Court issues notice to Uttar Pradesh government in connection with a speech given by Yogi Adityanath in 2007, asked govt to reply as to why he should not be prosecuted for allegedly giving a hate speech in 2007? <a href="https://t.co/z2puUmxwbQ">pic.twitter.com/z2puUmxwbQ</a></p> — ANI UP (@ANINewsUP) <a href="https://twitter.com/ANINewsUP/status/1031432954684297216?ref_src=twsrc%5Etfw">August 20, 2018</a></blockquote> <p style="text-align: justify;"></p> <p style="text-align: justify;">विवाद मुहर्रम पर ताजिये के जुलूस के रास्तों को लेकर था. इस मामले में योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं के खिलाफ सीजेएम कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई थी. एफआईआर में कई दूसरी गंभीर धाराओं के साथ ही सांप्रदायिक आधार पर समाज को बांटने की आईपीसी की धारा 153 A भी शामिल थी. क़ानून के मुताबिक़ 153 A के तहत दर्ज केस में केंद्र या राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही अदालत में मुक़दमे की सुनवाई शुरू होती है.</p> <p style="text-align: justify;">पहले इस मुद्दे पर बहस के दौरान यह मुद्दा उठा कि अगर सरकार किसी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इंकार कर दे तो क्या मजिस्ट्रेट सरकार के फैसले को दरकिनार कर मामले की सुनवाई कर सकता है या नहीं. यूपी के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल और सरकार की तरफ से पैरवी के लिए आए सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अजय कुमार मिश्र ने कहा था कि मजिस्ट्रेट को सरकार का आदेश खारिज कर सुनवाई करने का अधिकार होता है.</p>

from uttar-pradesh https://ift.tt/2MZvLq5
LihatTutupKomentar