<p style="text-align: justify;"><strong>गोरखपुर</strong>: महमूद गजनवी ने जब भारत पर आक्रमण किया, तो उसने क्रूरता की हदें पार कर दी. उसने हिन्दुस्तान को जी-भरकर लूटा और मंदिरों को ध्वस्त कर चला गया. गोरखपुर में भी एक ऐसा शिव मंदिर है, जो सदियों से उसकी क्रूरता की दास्तान बयां कर रहा है. महमूद गजनवी तो चला गया. लेकिन, जब वो इस शिव मंदिर में बने शिवलिंग को तोड़ नहीं पाया, तो उस पर कलमा खुदवा दिया.</p> <p style="text-align: justify;">आज भी ये शिवलिंग उसके क्रूरता की दास्तान बयां कर रहा है. लेकिन, उसने जिस मंशा से शिवलिंग पर कलमा खुदवाया था, वो पूरी नहीं हुई. शिवभक्त आज भी यहां पर पूजा-पाठ के साथ जल और दुग्धाभिषेक के लिए आते हैं. सावन में तो इस मंदिर की महत्ता और भी बढ़ जाती है.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/08/20144622/gkptt.jpg"><img class="alignnone wp-image-943920 size-full" src="https://ift.tt/2La0hfe" alt="" width="643" height="446" /></a> गोरखपुर से 30 किलोमीटर दूर खजनी कस्बे के सरया तिवारी गांव में सदियों पुराना नीलकंठ महादेव का शिव मंदिर है. मंदिर के पुजारी आचार्य अतुल त्रिपाठी बताते हैं कि शिव मंदिर में शिवलिंग है जो हजारों साल पुराना है. मान्यता है कि यह शिवलिंग भू-गर्भ से स्वयं प्रकट हुआ था. जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया, तो यह शिवमंदिर भी उसके क्रूर हाथों से अछूता नहीं रहा. उसने मंदिर को ध्वस्त कर दिया. लेकिन, शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ. जब गजनवी थक-हार गया, तो उसने शिवलिंग पर कमला खुदवा दिया, जिससे हिन्दू इसकी पूजा नहीं कर सकें. महमूद गजनवी जब भारत पर आक्रमण किया तो इस शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की. लेकिन, वह कामयाब नहीं हो सका. इसके बाद उसने इस पर उर्दू में '‘लाइलाहइलाल्लाह मोहम्मद उररसूलउल्लाह‘ लिखवा दिया.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/08/20144813/gkp-tty.jpg"><img class="alignnone wp-image-943921 size-full" src="https://ift.tt/2MBaGpc" alt="" width="702" height="438" /></a></p> <p style="text-align: justify;">स्थानीय निवासी और पेशे से अधिवक्ता धरणीधर राम त्रिपाठी बताते हैं कि महमूद गजनवी और उसके सेनापति बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट किया था. उन्होंने सोचा था कि वह इस पर कलमा खुदवा देगा, तो हिन्दू इसकी पूजा नहीं करेंगे. लेकिन, महमूद गजनवी के आक्रमण के सैकड़ों साल बाद भी इस हिन्दू श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के साथ दूध और चंदन आदि का लेप भी लगाते हैं. इस मंदिर पर छत नहीं लग पाती है. कई बार इस पर छत लगाने की कोशिश की गई. लेकिन, वो गिर गई.</p> <p style="text-align: justify;">सावन मास में इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है. यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने आत हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति की मन्नतें भी मांगते हैं. शिवलिंग पर कलमा खुदा होने के बावजूद लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आई है. लोग यहां पर आते हैं और शीश झुकाकर आशीर्वाद मांगते हैं. उन्होंने बताया कि इसके पास में ही एक तालाब भी है. खुदाई में यहां पर लगभग 10-10 फीट के नर कंकाल मिल चुके हैं, जो उस काल और आक्रांताओं की क्रूरता को दर्शाते हैं. देश में बगैर योनि का ये पहला शिवलिंग है.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/08/20144856/gkp-ss.jpg"><img class="alignnone wp-image-943922 size-full" src="https://ift.tt/2Ld5gvI" alt="" width="724" height="447" /></a> यहां दर्शन करने आईं इसी गांव की इन्द्रावती त्रिपाठी बताती हैं कि देश और विदेशों में रहने वाले हिन्दुओं के लिए भगवान शिव में विशेष आस्था होती है. वे जबसे शादी होकर इस गांव में आईं हैं वे बगल में होने के कारण रोज यहां पर पूजा करती हैं. सावन माह में इसकी महत्ता और बढ़ जाती है. पूर्व में यहां पर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने आक्रमण कर इसे ध्वस्त करने का प्रयास भी किया था. असफल होने पर उन्होंने शिवलिंग पर कलमा खुदवा दिया. यहां पर खुदाई में हड्डियां और दांत भी मिल चुके हैं. श्रद्धालु शिवम शुक्ला बताते हैं कि वे काफी नाम सुन रखे थे. इसलिए वे रुद्रपुर से यहां पर दर्शन करने के लिए अंतिम सोमवार को आए हैं. वहीं बीनू गौर बताती हैं कि वे इसी गांव की रहने वाली है. वे हमेशा इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आती हैं. वे कहती हैं कि इस मंदिर की इतनी महत्ता है कि देश और विदेश से भी लोग यहां पर आते हैं. वे बताती हैं कि कालान्तर में मुस्लिम आक्रमणकारियों के आक्रमण के समय इस मंदिर को भी ध्वस्त कर दिया गया था. जब शिवलिंग नहीं टूटा, तो इस पर आक्रमणकारियों ने कलमा खुदवा दिया.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/08/20144937/gkp-uu.jpg"><img class="alignnone wp-image-943923 size-full" src="https://ift.tt/2vXgrnp" alt="" width="594" height="423" /></a></p> <p style="text-align: justify;">भगवान शिव को महादेव के नाम से भी पुकारा जाता है. यही वजह है कि सरया तिवारी गांव के इस शिवलिंग को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है. यहां के लोगों का मानना है कि इतना विशाल शिवलिंग पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर है. शिव के इस दरबार में जो भी भक्त आकर श्रद्धा से बाबा से कामना करता है, उसे भगवान शिव जरूर पूरी करते हैं.</p> <p style="text-align: justify;">इस शिवलिंग पर अरबी जुबान में ‘लाइलाह इलाल्लाह मोहम्मद उर रसूल अल्लाह‘ लिखा है. जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया और पूरे देश के मंदिरो को लूटता और तबाह करता इस गांव में आया तो उसने और उसकी सेना ने इस प्राकृतिक शिवलिंग के बारे में सुनकर इस तरफ कूच की. उसने महादेव के इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया. इसके बाद शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की, जिससे इसके नीचे छिपे खजाने को निकाल सकें.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने जितनी गहराई तक उसे खोदा, लेकिन शिवलिंग उतना ही बढ़ता गया. कहते हैं कि इस दौरान शिवलिंग को नष्ट करने के लिए कई वार भी किए गए. हर वार पर रक्त की धारा निकल पड़ती थी. इसके बाद गजनबी के साथ आये मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ही महमूद गजनबी को सलाह दी कि वह इस शिवलिंग का कुछ नहीं कर पायेगा और इसमें ईश्वर की शक्तियां विराजमान हैं. महमूद गजनवी को भी यहां की शक्ति के आगे झुकना पड़ा और उसने यहां से कूच करना ही अपनी भलाई समझा.</p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://static.abplive.in/wp-content/uploads/sites/2/2018/08/20145019/gkp-vv.jpg"><img class="alignnone wp-image-943925 size-full" src="https://ift.tt/2ONaIYE" alt="" width="681" height="423" /></a></p> <p style="text-align: justify;">इस मंदिर के आसपास के टीलों की खुदाई में जो नर कंकाल मिले, जिनकी लम्बाई तकरीबन 10 से 12 फीट थी. उनके साथ कई भाले और दूसरे हथियार भी मिले थे, जिनकी लम्बाई 18 फीट तक थी. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कई कोशिशों के बाद भी कभी छत नहीं लग पाया है और यहां के शिव खुले आसमान के नीचे रहते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर के बगल में स्थित पोखरे के जल को छूने से एक कुष्ठ रोग से पीडि़त राजा का कुष्ठ ठीक हो गया था और तभी से लोग चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिये आकर यहां पांच मंगलवार और रविवार स्नान करते हैं.</p> <p style="text-align: justify;">नीलकंठ महादेव का यह मंदिर सदियों से हिन्दू धर्म के लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की इस मंदिर में विशेष आस्था है. नीलकंठ महादेव का ये मंदिर सदियों से अपने भीतर मुस्लिम आक्रमणकारियों के क्रूर इतिहास को समेटे आज भी शान से हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है.</p>
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