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महागठबंधन की टक्कर में बीजेपी का दांव: कांशीराम और लोहिया के सम्मान में रखे जाएंगे सड़कों के नाम

<strong>लखनऊ:</strong> यूपी में राममनोहर लोहिया और कांशीराम के सम्मान में सड़कों के नाम रखे जायेंगे. इस फ़ैसले का एलान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने किया. वे राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री भी हैं. यही विभाग यूपी में सड़कें बनाता है. कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई थी जबकि समाजवादी पार्टी के नेता लोहिया को अपना गुरू मानते हैं. इससे पहले राज्य के हर जिले में क़र्पूरी ठाकुर के नाम पर सड़क बनाने का एलान हुआ था. ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री थे. उन्हें पिछड़ों का बड़ा नेता माना जाता है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने तो सामाजिक न्याय के लिए काम कर चुके नेताओं की मूर्तियां बनवाने का भी फ़ैसला किया है. ये मूर्तियां सड़क के किनारे ही लगाई जायेंगी. एसएसटी एक्ट में संशोधन के बाद दलितों को अपना बनाने का बीजेपी का ये नया दांव समझा जा रहा है. कांशीराम को मायावती का राजनैतिक गुरू माना जाता है. उन्होंने ही बीएसपी बनाई और मायावती को राजनीति में लाए. कांशीराम के ज़माने में ही बीएसपी और समाजवादी पार्टी गठबंधन की सरकार बनी थी. अब उन्हीं कांशीराम के सम्मान में बीजेपी सरकार सड़क का नाम रखने की तैयारी में है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एबीपी न्यूज़ से कहा,"हम राजा सुहेलदेव की बहराइच में मूर्ति बनाएंगे, उनके नाम पर सड़क होगी. क़र्पूरी ठाकुर के नाम पर भी सड़क होगी. कांशीराम जी के नाम पर कोई रोड नहीं है, उनके नाम की भी यूपी में अब सड़क होगी." लोकसभा चुनाव से पहले इसे यूपी में बीजेपी का एक नया दाँव समझा जा रहा है. एसपी और बीएसपी के महागठबंधन की काट के लिए बीजेपी इसे आज़माने की तैयारी में है. यूपी के हर दलित के घर में कांशीराम भगवान की तरह पूजे जाते हैं. यूपी में 23 प्रतिशत दलित वोटरों पर मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी का दबदबा रहा है. बीजेपी हर हाल में दलित वोट बैंक में सेंधमारी की फ़िराक़ में है. ग़ैर यादव पिछड़ी जातियां तो वैसे भी अब बीजेपी का वोटबैंक बन गई हैं. केशव प्रसाद मौर्य ख़ुद इसी बिरादरी के हैं. पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे.

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