भगत सिंह को क्रान्तिकारी सुखदेव थापर और शिवराम हरि राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी. लेकिन इससे केवल 18 दिन पहले ही महात्मा गांधी ने 5 मार्च 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे इतिहास में गांधी-इरविन समझौता (Gandhi–Irwin Pact) कहा गया.
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