निर्मोही अखाड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सुशील जैन ने कहा था कि हम देवस्थान का प्रबंधन करते हैं और पूजा का अधिकार चाहते हैं और जन्मस्थान का पजेशन न तो देवता के नेक्स्ट फ्रेंड को दिया जा सकता है न ही पुजारी को.
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