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भगत सिंह से हमने क्या सीखा? इतने सालों बाद भी जिंदा हैं विचारों की अमिट निशानियां

भगत सिंह के भाग्य में 23 वर्ष की उम्र में शहीद होना लिखा था और शहीदे आजम भगत सिंह कहलाना लिखा था. भगत सिंह के गांव में पूरे परिवार को जानने के लिए दीवारों पर फैमिली ट्री मौजद हैं.  

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