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पुलिस कांस्टेबल मर्डर केस: बढ़ीं सीएम योगी की मुश्किलें, हाईकोर्ट में तीन अगस्त से होगी सुनवाई

<strong>इलाहाबाद</strong> : यूपी के महाराजगंज जिले में साल 1999 में पुलिस कांस्टेबल की हत्या और बलवा के मामले में नामजद आरोपी रहे सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. इस मामले में जांच एजेंसी सीबीसीआईडी द्वारा लगाई गई फाइनल रिपोर्ट और निचली अदालतों द्वारा उसे मंजूर किए जाने के फैसले के खिलाफ दाखिल अर्जी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है. यूपी सरकार ने आज इस अर्जी को बिना सुनवाई ही खारिज किये जाने की अपील की, जिसे अदालत ने फौरी तौर पर ठुकराते हुए तीन अगस्त से सुनवाई शुरू करने की बात कही है. यह अर्जी महाराजगंज की कांग्रेस नेता श्रीमती तलत अज़ीज़ द्वारा दाखिल की गई है. फायरिंग में मौत के घाट उतारा गया पुलिस कांस्टेबल सत्य प्रकाश यादव तलत अजीज का ही सरकारी गनर था. तलत अज़ीज़ उस वक्त समाजवादी पार्टी में थीं. तलत अज़ीज़ द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ को नामजद किया गया था. इस मामले में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केस में भी योगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. <strong>यह घटना 10 फरवरी साल 1999 को महाराजगंज जिले के पंचरुखिया इलाके की है</strong> यह घटना 10 फरवरी साल 1999 को महाराजगंज जिले के पंचरुखिया इलाके के भिटौली कसबे की है. कसबे की एक ज़मीन को लेकर दो सम्प्रदाय के लोगों के बीच बवाल हुआ था. एक वर्ग के लोग विवादित ज़मीन को कब्रिस्तान बता रहे थे, जबकि दूसरे वर्ग के लोग तालाब. इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से फायरिंग और जमकर पथराव किया गया था. फायरिंग के दौरान गोली लगने से तत्कालीन एसपी नेता तलत अजीज के सरकारी गनर सत्य प्रकाश यादव की मौत हो गई, जबकि कई लोग ज़ख़्मी हुए थे. <strong>योगी की तहरीर में कहा गया था कि तलत अजीज ने उनकी हत्या के इरादे से फायरिंग कराई थी</strong> इस मामले में कोतवाली थाने में तीन एफआईआर दर्ज हुई थी. तलत अजीज द्वारा दर्ज एफआईआर में गोरखपुर के तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ और कुछ अन्य लोगों को नामजद किया गया था. पुलिस ने भी अपनी एफआईआर में योगी के खिलाफ केस दर्ज किया था. योगी आदित्यनाथ द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में तलत अजीज और उनके समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. योगी की तहरीर में कहा गया था कि तलत अजीज ने उनकी हत्या के इरादे से फायरिंग कराई थी. <strong>घटना के वक्त यूपी में कल्याण सिंह सरकार थी</strong> घटना के वक्त यूपी में कल्याण सिंह सरकार थी. सियासी गलियारों में मामला गूंजने के बाद कल्याण सिंह सरकार ने तीनों मुकदमों की जांच सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दी थी. जांच एजेंसी सीबीसीआईडी ने तकरीबन सोलह महीने में जांच पूरी करने के बाद 27 जून साल 2000 को तीनों मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. सीबीसीआईडी की तरफ से दाखिल फाइनल रिपोर्ट में कहा गया कि हजारों की भीड़ के बीच फायरिंग करने वाले की पहचान नहीं हो सकी है. ऐसे में किसी को भी आरोपी बनाकर उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना ठीक नहीं है. लम्बी सुनवाई के बाद निचली अदालत ने तीनों मुकदमों में लगी फाइनल रिपोर्ट को मंजूर कर लिया और मुकदमा ख़त्म करने की मंजूरी दे दी. कुछ सालों बाद तलत अजीज कांग्रेस में शामिल हो गईं और विधानसभा का चुनाव भी लड़ा. तलत अजीज ने निचली अदालत द्वारा मंजूर की गई फाइनल रिपोर्ट को साल 2006 में महराजगंज की सीजेएम कोर्ट में चुनौती दी. तकरीबन बारह साल चले मुक़दमे के बाद सीजेएम कोर्ट ने इसी साल तेरह मार्च को तलत अजीज की अर्जी को ख़ारिज कर दिया और निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगा दी. <strong>कोर्ट ने सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तारीख तय की है</strong> तलत अजीज ने सीजेएम कोर्ट के इसी फैसले को अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई जस्टिस सौमित्र दयाल की बेंच में हुई. अदालत में सुनवाई शुरू होते ही यूपी सरकार ने तमाम दलीलें पेश करते हुए अर्जी को खारिज किए जाने की अपील की, लेकिन अदालत ने उसकी अर्जी को फिलहाल नामंजूर कर दिया और और अगली सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तारीख तय की है. अर्जी में सीबीसीआईडी जांच पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि उसने तत्कालीन बीजेपी सांसद को बचाने के लिए लीपापोती की. हत्या जैसे गंभीर मामले में किसी को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती. इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए और सीजेएम कोर्ट के आदेश को रद्द कर आरोपी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए. अदालत इस मामले में तीन अगस्त से सुनवाई शुरू करेगी.

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