
करीम हवेली, जहां इम्तियाज रहते थे, उसके पास 3 टॉकीज थीं जो उनके फूफा एसएम करीम की थीं। इम्तियाज इन्हीं में चोरी-छिपे फिल्में देखने जाते थे। तभी से उनका रुझान नाटक और थिएटर की ओर बढ़ने लगा। इसी इंटरेस्ट के चलते आज भी अपनी हर फिल्म की कहानी वे खुद ही लिखते आ रहे हैं।
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