वर्ष 1867 में ही सैयद अहमद खान को ब्रिटेन की सरकार ने Sir की उपाधि दे दी थी. इन उपाधियों को देने की शुरुआत पहले स्वतंत्रता संग्राम के बाद हुई थी और ये उन्हीं लोगों को दी जाती थी, जो ब्रिटिश सरकार के हित में काम करते थे. यानी यहीं से भारत के पुरस्कार गैंग की शुरुआत हुई थी.
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