भारत में अक्सर अंग्रेजी बोलने वाले व्यक्ति को विद्वान समझा जाता है. हिंदी बोलने वाले लोगों को पिछड़ा हुआ माना जाता है और अगर कोई व्यक्ति संस्कृत (Sanskrit) भाषा में बोले तो हमारे समाज के कुछ लोग उन्हें कट्टर हिंदूवादी मानेंगे.
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world news/DNA ANALYSIS: New Zealand में सांसद की संस्कृत में शपथ, हम इस भाषा को क्यों भूल रहे हैं?