अपनी मंद हंसी से ब्रह्माण्ड का निर्माण करने वाली मां कुष्मांडा सृष्टि का आदि स्वरूप हैं. कहते हैं जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था. चारों ओर घना अंधेरा छाया था. तब देवी कुष्मांडा ने अपने हाथों से इस सृष्टि की रचना की थी.
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