नादिया मुराद ने अपने ज़ख्मों को अपनी ताकत बनाया. वो किसी तरह ISIS की गिरफ्त से भाग निकलने में कामयाब रहीं. और आज 25 वर्ष की ये लड़की, दुनिया की हर 'पीड़ित और सताई' हुई महिला को शक्ति देने का काम कर रही है. इस बार नादिया मुराद को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
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